यदि आपने या आप सोच रहे हैं कि ₹1,00,00,000 (1 करोड़) की Fixed Deposit (FD) में पैसे लगाएँ तो सालाना जो ब्याज मिलेगा उस पर कितना टैक्स लगेगा, यह समझना बहुत जरूरी है। नीचे मैं step-by-step और बहुत सरल भाषा में बताऊँगा। साथ में कुछ उदाहरण और practical tips भी दूँगा ताकि आप निर्णय सही ले सकें।
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| 1 करोड़ FD पर कितना टैक्स लगता है? |
सबसे पहले - FD का ब्याज ही टैक्सेबल इनकम है
FD पर जो ब्याज मिलता है, वह “Income from Other Sources” के तहत आता है और आपकी कुल आय में जुड़कर आपके टैक्स-स्लैब के अनुसार टैक्स होगा। यानी FD पर मिलने वाला ब्याज सीधा टैक्सेबल है। चाहे बैंक TDS काटे या नहीं, आप उसे ITR में बताएँगे।
TDS (Tax Deducted at Source) - बैंक कब और कितना काटेगा?
Budget 2025 के बाद से (effective 1 April 2025) बैंक/पोस्ट ऑफिस आदि पर FD-interest के लिए नई सीमा लागू है:
- सामान्य (non-senior) करदाता: अगर सालाना कुल ब्याज ₹50,000 से ज्यादा हुआ तो बैंक TDS काटेगा।
- Senior citizens (60+) के लिए: सीमा बढ़ाकर ₹1,00,000 कर दी गयी है, यानी यदि सालाना ब्याज ₹1,00,000 से ऊपर हुआ तभी बैंक TDS काटेगा।
- TDS rate सामान्यतः 10% होता है (यदि PAN दिया हुआ है)। अगर PAN न दिया हो तो बैंक अधिक (उदा. 20%) दर से काट सकता है। और ध्यान दें, जब अकाउंट पर सालाना ब्याज सीमा पार हो जाए तो बैंक पूरे ब्याज पर 10% काटता है (सिर्फ अतिरिक्त पर नहीं)। Income-tax के उदाहरणों में यह स्पष्ट है।
अब उदाहरण के साथ - अलग-अलग ब्याज दरों पर (आसान गणना)
मान लीजिए आपने ₹1 करोड़ FD में लगाया और बैंक आपको अलग-अलग दर देता है। नीचे तीन सामान्य दरें लेते हैं: 6%, 7%, 8% (सालाना)।
1 करोड़ = ₹1,00,00,000
1. यदि ब्याज 6% है - सालाना ब्याज = ₹6,00,000
बैंक TDS (10%) = ₹60,000 (काट कर आपको ₹5,40,000 मिलेगा)।
पर आपका वास्तविक कर (tax liability) आपकी कुल टैक्स-रुचि और चुने हुए टैक्स-रिजीम पर निर्भर करेगा। उदाहरण के लिये अगर आपकी केवल इनकम यही ब्याज है और आप न्यू टैक्स-रिजीम पर हैं (FY 2025-26 के नए स्लैब के अनुसार), तो:
- न्यू-रिजीम में 0–₹4,00,000 तक नो-टैक्स; 4–8 लाख पर 5%। यहाँ (taxable = ₹6,00,000) tax = 5% × (6,00,000 − 4,00,000) = ₹10,000 + 4% cess = ₹10,400।
- यानी बैंक ने ₹60,000 काटा पर आपकी असल टैक्स-देयता केवल = ₹10,400 - इसका मतलब आपको ITR भर के refund मिल सकता है। (नोट: यहाँ कोई अन्य इनकम या डिडक्शन नहीं मानी गयी)।
- बैंक TDS (10%) = ₹70,000 (आपको ₹6,30,000)।
- न्यू-रिजीम में tax = 5% × (7,00,000 − 4,00,000)=₹15,000 + cess = ₹15,600।
- फिर भी बैंक ने अधिक काटा - ITR में refund मिल सकता है।
3. यदि ब्याज 8% - सालाना = ₹8,00,000
- बैंक TDS = ₹80,000, आपको ₹7,20,000।
- न्यू-रिजीम पर tax = 5% × (8,00,000 − 4,00,000) = ₹20,000 + cess - ₹20,800।
इन उदाहरणों से स्पष्ट है: बैंक का TDS (10% of interest) अक्सर आपकी असल टैक्स-देयता से अधिक हो सकता है। इसलिए ITR भरकर refund लेना सामान्य है। (ऊपर के गणनाएँ तब सही हैं जब आपके पास और कोई आय/डिडक्शन न हो)।
Senior citizens (उम्र ≥ 60) के लिए खास बातें
- Senior citizens के लिये TDS-exemption सीमा ₹1,00,000 प्रति वर्ष कर दी गयी है (banks/post office)। यानी 1 करोड़ पर मिलने वाला ब्याज अगर ₹1,00,000 से ऊपर है (जो 6% पर भी होगा), तो बैंक TDS काटेगा।
- Section 80TTB: अगर वे पुराना (old) टैक्स-रिजीम चुनें तो senior citizens FD/savings interest पर ₹50,000 तक की कटौती ले सकते हैं (80TTB), जो taxable income घटाती है। पर यह कटौती new regime में उपलब्ध नहीं है। मतलब 80TTB का फायदा पाने के लिये old regime चुनना होगा।
क्या TDS से बचने का रास्ता है? (सुरक्षित तरीके)
- Form 15G / 15H file करना : यदि आपकी कुल टैक्सेबल आय basic exemption से कम है, तो आप बैंक में Form-15G (non-senior) या 15H (senior) जमा कर सकते हैं। तब बैंक TDS नहीं काटेगा। पर ध्यान दें - फॉर्म भरते वक्त सच बोलना होगा। गलत डिक्लरेशन पर penalty हो सकती है।
- FD को परिवार में बाँटना : अगर आप अलग-अलग कार्डधारकों (जैसे पति/पत्नी/बच्चे) के नाम से FD बनाते हैं तो threshold हर नाम पर अलग-अलग लागू होगा। पर यह कानूनी सलाह नहीं है, बस एक सामान्य रणनीति।
- टैक्स-फ्री निवेश चुनें : PPF, NSC (some special rules), certain govt schemes में टैक्स-ट्रीटमेंट अलग होता है। PPF में ब्याज tax-free होता है। अगर मकसद टैक्स बचाना है तो टैक्स-फ्री विकल्प देखें।
अगर बैंक ने ज़्यादा TDS काट दिया तो क्या करें?
ITR फाइल करके आप refund क्लेम कर सकते हैं। बैंक ने जो TDS जमा किया होता है वह आपके PAN के साथ लिंक्ड होता है और ITR में दिखेगा। सही दस्तावेज़ जमान कर रिफंड प्राप्त किया जा सकता है।
छोटा सार (Quick summary)
- FD का ब्याज पूरी तरह टैक्सेबल है : इसे अपनी टैक्स-रिटर्न में बताना होगा।
- TDS की नई सीमाएँ (from 1-Apr-2025): सामान्य लोगों के लिये ₹50,000, senior citizens के लिये ₹1,00,000। बैंक TDS 10% काटेगा यदि ब्याज इन सीमाओं से ऊपर है।
- TDS अक्सर आपकी असल टैक्स-लायबिलिटी से अधिक हो सकता है : ITR भरकर refund लें या Form-15G/15H जमा करके काटटौती से बचें (यदि योग्य हों)।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q: क्या 1 करोड़ FD पर जरूर TDS कटेगा?
नहीं, यह सीधे FD पर कटने वाली ब्याज राशि पर निर्भर करेगा। उदाहरण के लिए अगर FD पर मिलने वाला सालाना ब्याज ₹50,000 (non-senior) या ₹1,00,000 (senior citizen) से अधिक है तो बैंक TDS काटेगा। 1 करोड़ पर सामान्यतः मिलने वाला ब्याज (रूढ़ तौर पर 6%–8% पर) इन सीमाओं से बहुत ऊपर होता है,
इसलिए अधिकतर मामलों में TDS लगेगा।
Q: बैंक ने ज़्यादा TDS काट दिया - मैं क्या करूँ?
ITR (Income Tax Return) भरकर आप बैंक द्वारा काटा गया अतिरिक्त TDS वापस (refund)
माँग सकते हैं। TDS बैंक ने आपके PAN के साथ जमा किया होता है। ITR में वह दिखेगा और आवश्यक डॉक्यूमेंट (bank TDS certificate/Form 16A,
interest statement) लगाकर refund क्लेम कर सकते हैं।
Q: क्या मैं TDS रोकने के लिए Form 15G/15H दे सकता/सकती हूँ?
हाँ, यदि आपकी कुल टैक्सेबल आय उस वित्तीय वर्ष में basic exemption limit से कम है तो आप बैंक में Form 15G (non-senior) या Form 15H (senior) जमा कर सकते हैं;
ऐसा करने पर बैंक TDS नहीं काटेगा। ध्यान दें कि फॉर्म भरते समय सच्ची जानकारी देनी ज़रूरी है। गलत विवरण पर penalty हो सकती है।
Q: वरिष्ठ नागरिकों (senior citizens) के लिए क्या अलग नियम हैं?
हाँ, senior citizens के लिये TDS-इक्ज़ेम्प्शन सीमा अधिक है (₹1,00,000 तक) और वे Section 80TTB के तहत FD/savings interest पर ₹50,000 तक की कटौती ले सकते हैं। पर यह deduction और TDS-रूल अलग टैक्स-रिजीम पर निर्भर कर सकता है। इसलिए senior नागरिकों को बैंक और टैक्स सलाहकार से specific guidance लेनी चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion)
1 करोड़ रुपये की FD पर मिलने वाला ब्याज पूरी तरह टैक्सेबल इनकम माना जाता है। बैंक/पोस्ट ऑफिस TDS तभी काटता है जब सालाना मिलने वाला ब्याज नियमों में बताई गई सीमा से ऊपर हो। सामान्य टैक्सपेयर के लिए ₹50,000 और वरिष्ठ नागरिकों (60+) के लिए ₹1,00,000 । बैंक आमतौर पर 10% की दर से TDS काटता है (PAN न होने पर उच्च दर)। कई बार बैंक द्वारा काटा गया TDS आपकी असल टैक्स-देयता से ज़्यादा हो सकता है। ऐसी स्थिति में ITR भर कर refund मिल सकता है। TDS से बचने के वैध रास्तों में Form 15G/15H (यदि आपकी कुल टैक्सेबल आय exemption limit से कम हो) और निवेश को diversify कर टैक्स-फ्री विकल्प चुनना शामिल है। अंतिम निर्णय से पहले अपने बैंक और प्रमाणित टैक्स सलाहकार से जाँच कर लें।
Resources (आधिकारिक / भरोसेमंद पढ़ने-लिये)
- Income-Tax Department : Tutorial / Section 194A (TDS on interest). (Income Tax India)
- Economic Times : Budget 2025: TDS threshold changes summary. (The Economic Times)
- ClearTax : TDS on FD interest (updated guide). (ClearTax)
- ICICI Bank : TDS on FD (bank explanation + Form 15G/15H). (ICICI Bank)
- Income Tax Dept : FAQs / Senior Citizens pamphlet (80TTB). (Income Tax India)
Disclaimer : यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है और अद्यतनों के अनुसार बदल सकता है। कोई भी बड़ा वित्तीय निर्णय लेने से पहले आधिकारिक Income-Tax नोटिस, आपके बैंक और किसी प्रमाणित टैक्स-सलाहकार से सुनिश्चित कर लें।
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