लोग अक्सर देखते हैं - No-Cost EMI, 0% interest, Buy now, pay later - interest free। सवाल उठता है: क्या वाकई कोई लोन पूरी तरह से 0% ब्याज पर मिल सकता है? छोटे-छोटे शब्दों में जवाब - हां भी और नहीं भी। नीचे आसान भाषा में समझा रहा/रही हूँ कि परिस्तिथिें क्या होती हैं, किस तरह कंपनियाँ 0% दिखाती हैं, छिपे हुए खर्च कौन-से होते हैं, RBI क्या कहता है, और आप सुरक्षित कैसे रहें।

क्या किसी लोन की 0% ब्याज दर हो सकती है?
सीधे शब्दों में - 0% ब्याज वाला लोन मुमकिन तो है,
पर कैसा?

कई मामलों में 0% ब्याज का मतलब यह होता है कि ग्राहक को ब्याज की सीधी किस्त नहीं देनी पड़ती। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उस खरीद पर कोई लागत नहीं है। आमतौर पर तीन तरीके होते हैं:
- Merchant/Subvention मॉडल (सबवेशन): विक्रेता (retailer/manufacturer) या मार्केटप्लेस उस अवधि का बैंक-ब्याज या भुगतान का हिस्सा वहन कर देता है। ग्राहक को सीधे ब्याज नहीं लगता। पर विक्रेता अक्सर इनकी भरपाई करने के लिये कीमत बढ़ा सकता है या नकद छूट नहीं देता।
- प्रोडक्ट-प्राइस एडजस्टमेंट: विक्रेता EMI सुविधा देने के दौरान प्रोडक्ट की कीमत बढ़ा कर ब्याज फ्री बनाता है। यानी आप कुल रूप से वही या अधिक दे रहे होते हैं। विशेषज्ञ आलेखों ने इस तरह के छिपे हुए खर्चों की चेतावनी दी है।
- इंस्टॉलमेंट पर बैंक-डिस्काउंट/कार्ड-ऑफर: कुछ क्रेडिट-कार्ड/बैंक पहले से प्री-डिस्काउंट दे देते हैं; बैंक-बिल पर interest लगता है पर merchant ने उसे compensate कर दिया। इसलिए customer को 0% जैसा दिखता है। RBI ने कहा है कि EMI-conversion के interest component को zero interest की तरह छिपाना नहीं चाहिए। पारदर्शिता दिखानी अनिवार्य है।
इसलिए तकनीकी रूप से 0% दिखना संभव है। पर अक्सर कोई न कोई व्यवस्था/किसी और माध्यम से लागत recover की जाती है।
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RBI और नियमन क्या कहते हैं ?
Reserve Bank of India ने साफ कहा है कि EMI conversion में जो interest लगता है,
उसे zero
interest या no-cost
EMI की तरह छिपाया नहीं जाना चाहिए। बैंक/कार्ड-इश्यूअर और merchant को principal, interest और merchant discount साफ़ दिखाना होगा और credit-card statement में अलग से बताना होगा। RBI के नए digital-lending दिशा-निर्देशों में भी consumer protection और transparency पर जोर रखा गया है।
सरल शब्दों में: अगर कोई ऑफर “0%”
बोल रहा है तो उसे यह भी बताना होगा कि किसने interest भरा और क्या कोई अन्य fee या कीमत बढ़ी है।
No-Cost EMI के आम-छिपे खर्च - क्या देखना चाहिए
जब कोई 0% ऑफर दिखे तो नीचे की चीज़ें जरूर चेक करें:
- Total Payable (कुल चुकाना होगा) : EMI तालिका में कुल भुगतान कितना है, वही देखिए। कई बार नो-कास्ट वाले मामलों में कुल भुगतान नकद में खरीदने से बड़ा निकल आता है।
- Product Price vs Cash Price : क्या EMI पर खरीदने पर मूल कीमत (list price) वही है जो cash पर है? विक्रेता ने क्या कीमत बदली है?
- Processing fee / GST / Convenience charges : कई बार प्रोसेसिंग फीस या GST अलग से लगता है, जो effective cost बढ़ाता है।
- Prepayment, foreclosure rules : EMI को पहले चुकाने पर क्या penalty है? कुछ ऑफर्स में pre-closure allowed नहीं होती।
- Is merchant actually paying interest? : कुछ deals में merchant ने interest कम किया पर उसने upfront discount हटा दिया - यह जांचें।
Moneycontrol / Economic Times / Financial Express जैसे पब्लिकेशंस ने बार-बार बतलाया है कि नो-कास्ट EMI को लेकर सावधान रहना चाहिए। अक्सर उपभोक्ता आशा से ज्यादा भुगतान कर देते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक तरीक़े से 0% कैसे दिखता है - एक छोटा उदाहरण
मान लीजिए मोबाइल की कीमत ₹30,000 है। बैंक की सामान्य EMI-interest 9 महीनों की कुल interest ₹2,000 बनती है।
- Case A (No-Cost via merchant): विक्रेता बैंक को ₹2,000 देता या कीमत ₹31,000 कर देता और ग्राहक ₹30,000 ही EMI में दें, दिखने में 0% पर खरीदा पर वास्तविकता अलग हो सकती है।
- Case B (Card-offer): बैंक interest लेता है पर merchant card-issuer को discount देता ताकि customer पर ब्याज शो नहीं हो। पर यहाँ भी processing/GST और कुछ परिस्थितियों में कीमत एडजस्ट की जा सकती है।
इसलिए बस “0%”
लिखे देख कर खुश न हों, EMI-table और total payable ज़रूर देखें।
क्या कोई सच्चा interest-free लोन भी होता है?
कुछ खास स्थितियाँ हैं जहाँ वास्तविक interest-free व्यवस्था होती है। पर ये कम सामान्य हैं:
- Promotion / limited-time scheme जहाँ merchant खुद सबवेनशन दे दे : पर वे इसे अपने पूरे business model में adjust कर लेते हैं।
- Friend/relative loan : इसका ब्याज़ 0% हो सकता है (यह technically loan है पर regulated financial product नहीं)।
- Certain government grants/subsidised loans : सरकारी सब्सिडी वाले लोन (किसी-किसी योजनाओं में) effective interest कम या 0% जैसा लग सकता है क्योंकि सरकार कुछ हिस्से की सब्सिडी देती है। पर यह विशेष शर्तों पर होता है और आम consumer-loan की तरह नहीं। (सरकारी योजनाओं की अलग शर्तें होती हैं).
सार: पूरी तरह मुफ्त (interest-free) regulated consumer-loan बेहद दुर्लभ है। अधिकतर मामलों में कोई न कोई व्यवस्था लागत recover करने की होती है।
कैसे सचेत रहें - 7 आसान चेकलिस्ट आइटम
- EMI तालिका डाउनलोड/सहेजें : Total payable, Tenure, Per-month EMI स्पष्ट दिखे।
- Compare cash price vs EMI price : अगर EMI पर कुल पेमेंट ज्यादा है तो यह सचेत संकेत है।
- Processing fee / GST व charges पूछें : इन्हें शामिल कर के कुल लागत निकालें।
- RBI-regulated lender चुनें : ऐप या बैंक का नाम, registration और regulatory detail देखें; अनरीगुलेटेड ऐप से दूरी रखें।
- Sanction letter और bill संभाल कर रखें : किसी भी विवाद में यह काम आएगा।
- अगर कुछ समझ न आए तो पूछें : और ऑफर के terms screen-shot/print लें।
- Aggressive recovery या धमकी पर तुरंत शिकायत करें : RBI grievance और police दोनों routes उपलब्ध हैं।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q: क्या वाकई किसी लोन की 0% ब्याज दर हो सकती है?
तकनीकी रूप से कुछ मामलों में ग्राहक को सीधे ब्याज नहीं देना पड़ता (यही 0% दिखता है), पर आम तौर पर कोई न कोई लागत किसी न किसी रूप में recover की जाती है। जैसे merchant/subsidy, प्रोडक्ट-प्राइस एडजस्टमेंट या processing fees। पूर्ण रूप से regulated और खुले तौर पर interest-free consumer-loan बेहद दुर्लभ है।
Q: No-Cost EMI या 0% ऑफर असल में कैसे काम करता है?
तीन तरीके होते हैं - (a) merchant/big seller बैंक का interest वहन कर देता (subvention), (b) विक्रेता कीमत एडजस्ट कर देता ताकि ग्राहक पर ब्याज न दिखे,
या (c) बैंक और विक्रेता के बीच arrangement होती है जिससे ग्राहक को immediate interest-free दिखता है। इसलिए ऑफर के पीछे कौन-पैसा दे रहा है यह जानना जरूरी है।
Q: क्या सरकारी सब्सिडी वाले लोन सच में 0% जैसे होते हैं?
कुछ सरकारी/subsidy schemes में effective interest बहुत कम या न के बराबर हो सकता है क्योंकि सरकार ब्याज का एक हिस्सा दे देती है। पर ये विशेष शर्तों पर होते हैं और सामान्य consumer retail-EMI से अलग प्रावधान होते हैं। इन्हें scheme-specific शर्तों के अनुसार ही मानें।
Q: मैं कैसे सुनिश्चित करूँ कि "0% ब्याज" ऑफर मेरे लिए सही और सस्ता है?
EMI तालिका और Total
Payable जरूर चेक करें;
cash-price से तुलना करें, processing fees/ GST/ prepayment rules पूछें और केवल RBI-regulated बैंक/NBFC या भरोसेमंद रिटेलर से ऑफर लें। तभी आपको सही निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
निष्कर्ष (Conclusion)
कुल मिला कर “0% ब्याज” दिखना संभव है, पर अक्सर इसमें कोई न कोई पैसों की भरपाई किसी और रूप में होती है। जैसे बढ़ी हुई कीमत, प्रोसेसिंग फीस, GST या merchant द्वारा सबवेशन की लागत। RBI और नियामक पारदर्शिता के लिये सख्त हैं। इसलिए कोई भी ऑफर लेने से पहले EMI तालिका, कुल भुगतान और terms को ध्यान से पढ़ें। अगर ऑफर बहुत अच्छा लग रहा है, तो थोड़ा रोक कर सभी नंबर कंडीशन्स के साथ चेक कर लें। यही सबसे सुरक्षित रास्ता है।
Resources (भरोसेमंद पढ़ने के लिए)
- RBI : FAQs on Digital Lending / guidance on EMI transparency. (Reserve Bank of India)
- Bajaj Finserv : No-Cost EMI explanatory page (example of merchant/bank subvention). (www.bajajfinserv.in)
- Moneycontrol : No-cost EMI: convenient or costly (analysis). (Moneycontrol)
- Economic Times : Is no-cost EMI really cost-free? (investigative explanation). (The Economic Times)
- Reuters : regulatory actions and draft laws to curb illegal/unregulated lending in India. (Reuters)
Disclaimer : यह लेख सामान्य जानकारी और शैक्षणिक उद्देश्य के लिए है। किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले संबंधित बैंक/लेंडर की आधिकारिक शर्तें पढ़ें और ज़रूरी होने पर प्रमाणित वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें।
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